चित्रपट/एल्बम : ब्रह्मचारी (1968)
संगीतकार : शंकर जयकिशन
गीतकार : हसरत जयपुरी
गायक : मो.रफी
दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर
रखूँगा मैं दिल के पास
मत हो मेरी जां उदास
कल तेरे जलवे पराये भी होंगे
लेकिन झलक मेरे ख़्वाबों में होगी
फूलों की डोली में होगी तू रुखसत
लेकिन महक मेरे साँसों में होगी
दिल के झरोखे में...
अब भी तेरे सुर्ख होठों के प्याले
मेरे तस्सवुर में साकी बने हैं
अब भी तेरे ज़ुल्फ़ के मस्त साए
बिरहा की धूप में साथी बने हैं
दिल के झरोखे में...
मेरी मोहब्बत को ठुकरा दे चाहे
मैं कोई तुझसे ना शिकवा करूँगा
आँखों में रहती है तस्वीर तेरी
सारी उमर तेरी पूजा करूँगा
दिल के झरोखे में...
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