चित्रपट / एल्बम :तीन देवियाँ (1965)
संगीतकार : एस.डी.बर्मन
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
गायक एवं गायिका :किशोर कुमार,आशा भोंसले
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आहा मानो कहा अब तुम हो जवां
मेरी जान लड़कपन छोड़ो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब...
कोई जो मुझको हाथ लगाएगा, हाथ न उसके आऊंगी
मैं तेरे मन की लाल परी हूँ रे, मन में तेरे उड़ जाऊंगी
तुम परी तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया...
देख के तरसे लाख ये भंवरे, और इन्हें तरसाऊंगी
तेरी गली की एक कली हूँ, तेरे गले लग जाऊंगी
तुम कली तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया...
डाल के घुंघटा रूप को अपने, और नहीं मैं छुपाऊंगी
सुंदरी बनके तेरी बलमवा, आज तो मैं लहराऊंगी
सुंदरी तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया...
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