Thursday, 2 February 2017

# Kuhu Kuhu Bole Koyaliya /कुहू कुहू बोले कोयलिया



चित्रपट / एल्बम :सुवर्ण सुंदरी (1957)
संगीतकार :आदी नारायण राव
गीतकार : भरत व्यास
गायक एवं गायिका : मो.रफ़ी,लता मंगेशकर


कुहू कुहू बोले कोयलिया
कुंज-कुंज में भंवरे डोले
गुन-गुन बोले
कुहू कुहू बोले...

सज सिंगार ऋतु आई बसंती
जैसे नार कोई हो रस्वंती
सां नी ध म ध नी सां, ग म ग म ध नी सां
रें सां नी ध नी, सां रें सां नी, सां रें सां नी
ध नी नी, ध नी नी, ध नी, म ध ध, म ध ध, म ध
सा रे ग म ध नी सां
सज सिंगार ऋतु आई बसंती
जैसे नार हो रस्वंती
डाली-डाली कलियों को तितलियाँ चूमें
फूल-फूल पंखड़ियाँ खोलें, अमृत घोलें
कुहू कुहू बोले...


काहे घटा में बिजुरी चमके
हो सकता है मेघराज ने
बादरिया का श्याम-श्याम मुख चूम लिया हो
राग सोहनी
चोरी-चोरी मन पंछी उड़े, नैना जुड़े
कुहु-कुहु बोले...


चंद्रिका देख छाई, पिया चंद्रिका देख छाई
चंदा से मिलके, मन ही मन में मुस्कायी
छायी, चंद्रिका देख छायी
शरद सुहावन, मधु मनभावन
विरही जनों का सुख सरसावन
राग सोहनी
छायी-छायी पूनम की घटा, घूंघट हटा
कुहु-कुहु बोले...


सरस रात मन भाये प्रियतमा, कमल-कमलनी मिले
किरण हार दमके, जल में चाँद चमके
मन सानंद-आनंद डोले रे
ऩी रे ग म ध नी सां, ध नी सां
सां नी सां, गं रें गं सां रें नी सां ध नी म ध नी सां
नी रें नी रें, ध नी ध नी, म ध म ध, ग म ग म
ग म ध नी सां, ग म ध नी सां, ध नी सां

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