चित्रपट / एल्बम : क़यामत से क़यामत तक (1988)
संगीतकार : आनंद मिलिंद
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
गायक एवं गायिका : उदित नारायण
दोस्तों, हमारे लिए कॉलेज का ये आखिरी दिन है
और मैं जानता हूँ कि आने वाली ज़िन्दगी के लिए सभी ने कुछ न कुछ सोच रखा है
और आज मुझे बार बार एक ही ख्याल आ रहा है
पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा
बेटा हमारा ऐसा काम करेगा
मगर ये तो, कोई ना जाने
के मेरी मंज़िल, है कहाँ
बैठे हैं मिल के, सब यार अपने
सबके दिलों में, अरमां ये है
वो ज़िन्दगी में, कल क्या बनेगा
हर इक नजर का, सपना ये है
कोई इंजिनियर का काम करेगा
बिज़नस में कोई अपना नाम करेगा
मगर ये तो...
मेरा तो सपना, है एक चेहरा
देखे जो उसको, झूमे बहार
गालों में खिलती, कलियों का मौसम
आँखों में जादू, होठों में प्यार
बन्दा ये खूबसूरत काम करेगा
दिल की दुनिया में अपना नाम करेगा
मेरी नज़र से देखो तो यारों
कि मेरी मंज़िल है कहाँ
पापा कहते हैं...
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