चित्रपट/एल्बम : शागिर्द (1967)
संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
गायक /गायिका : मो.रफी लता मंगेशकर (युगल गीत)
वो हैं ज़रा ख़फ़ा ख़फ़ा  
तो नैन यूँ चुराए हैं
के हो
ना बोल दूँ तो क्या करूँ
वो हँस के यूँ बुलाए हैं
के हो
हँस रही है चांदनी
मचल के रो ना दूँ कहीं
ऐसे कोई रूठता नहीं
ये तेरा ख़याल है
करीब आ मेरे हसीं
मुझको तुझसे कुछ गिला नहीं
बात यूँ बनाए हैं
के हो..
फूल को महक मिले
ये रात रंग में ढले
मुझसे तेरी जुल्फ गर खुले
तुम ही मेरे संग हो
गगन की छाँव के तले
ये रुत यूँ ही भोर तक चले
प्यार यूँ जताए हैं
के हो...
ऐसे मत सताइए
ज़रा तरस तो खाइए
दिल की धड़कन मत जगाइए
कुछ नहीं कहूँगा मैं
ना अन्खड़ियाँ झुकाइए
सर को काँधे से उठाइये
ऐसे नींद आये है
के...
 
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