चित्रपट / एल्बम :आँचल (1980)
संगीतकार :आर.डी.बर्मन
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
गायिका :लता मंगेशकर
भोर भये पंछी धुन ये सुनाये
जागो रे गयी ऋतु फिर नहीं आये
पनघट जगी गाँव की हर गली जागी
गोरी कहीं और कहीं साँवली जागी
आँचल की छैय्याँ अपने सैय्यां को बुलाये
भोर भये पंछी...
मैं भी वहीं, है जहाँ मोहना मेरा
मधुबन मेरा तो यही आँगना मेरा
ये दर ना छुटे, चाहे दुनियाँ छुट जाये
भोर भये पंछी...
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