Sunday 5 February 2017

# Zindagi Ki Yahi Reet Hai /ज़िन्दगी की यही रीत है


चित्रपट / एल्बम: मिस्टर इंडिया (1987)
संगीतकार : लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल
गीतकार :  जावेद अख्तर
गायक एवं गायिका :किशोर कुमार, कविता कृष्णमूर्ति

ज़िन्दगी की यही रीत है
हार के बाद ही जीत है
थोड़े आँसू हैं, थोड़ी हँसी
आज ग़म है, तो कल है ख़ुशी
ज़िन्दगी की यही रीत...

ज़िन्दगी रात भी है, सवेरा भी है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी है सफ़र और बसेरा भी है ज़िन्दगी
एक पल दर्द का गाँव है, दूसरा सुख भरी छाँव है
हर नए पल नया गीत है
ज़िन्दगी की यही रीत...

ग़म का बादल जो छाए, तो हम मुस्कराते रहें
अपनी आँखों में आशाओं के दीप जलाते रहें
आज बिगड़े तो कल फिर बने, आज रूठे तो कल फिर मने
वक़्त भी जैसे इक मीत है
ज़िन्दगी की यही रीत...

खेलते-खेलते एक तितली ना जाने कहाँ खो गयी
एक नन्ही किरण क्यूँ अँधेरे में यूँ सो गयी
सबकी आँखों में फ़रियाद है
सबकी दिल में तेरी याद है
तू नहीं है, तेरी प्रीत है
जिन्दगी की यही रीत है...

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