Wednesday 8 February 2017

# Ranjish Hi Sahi /रंजिश ही सही

  गीतकार : अहमद फ़राज़

  गायक : मेहदी हसन
 
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ
रंजिश ही सही...

इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरया से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ
रंजिश ही सही...

कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए  आ
रंजिश ही सही...

माना के मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ
रंजिश ही सही...

जैसे तुम्हें आते हैं ना आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ
रंजिश ही सही...

पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
रंजिश ही सही...

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिए आ
रंजिश ही सही...

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