चित्रपट / एल्बम: सफ़र (1970)
संगीतकार : कल्याणजी-आनंदजी
गीतकार : इन्दीवर
गायक :किशोर कुमार
जीवन से भरी तेरी आँखें
मजबूर करें जीने के लिए
सागर भी तरसते रहते हैं
तेरे रूप का रस पीने के लिए
तस्वीर बनाये क्या कोई
क्या कोई लिखे तुझपे कविता
रंगों छंदों में समाएगी
किस तरह से इतनी सुंदरता
इक धड़कन है तू दिल के लिए
एक जान है तू जीने के लिए
जीवन से भरी...
मधुबन की सुगंध है साँसों में
बाहों में कमल की कोमलता
किरणों का तेज है चेहरे पे
हिरणों की है तुझमें चंचलता
आँचल का तेरे है तार बहुत
कोई चाक जिगर सीने के लिए
जीवन से भरी...
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