चित्रपट / एल्बम :डी-डे (2013)
संगीतकार : शंकर एहसान लॉय
गीतकार : निरंजन इयेंगर
गायक एवं गायिका : निखिल डी'सूज़ा, सुखविंदर सिंह, लॉय मेंडोसा
जाने कैसे टूटे रिश्तों से बिखरे हैं ये पल
मानो जैसे ग़म की पलकों से छलके हैं ये पल
क्यूँ अधूरी ये कहानी, क्यूँ अधूरा ये फ़साना
क्यूँ लकीरों में इसके अलविदा
उमर भर का साथ दे जो, क्यूँ वो ही प्यार हो
क्यूँ न मिट के जो फना हो, वो भी प्यार हो
ना अधूरी ये कहानी, ना अधूरी ये फ़साना
मर के भी ना हम कहेंगे अलविदा
बैरिया मेरे रब्बा, क्यूँ हुआ मेरे रब्बा
यूँ ना ढामी, यूँ ना ढामी
दो दिलां दी ये कहानी
मिट भी जाऊं, ना मिटे ये कैसी प्यास है
दूरियों में खो के भी तू मेरे पास है
क्यूंकि तू मेरी कहानी, क्यूंकि तू मेरा फ़साना
अब कभी फिर ना है कहना अलविदा
तेरी यादों को सहलाता हूँ (याद कितना)
पल में बन के बिखरता हूँ
जिस जहां में खो गयी हो तुम
क्या नहीं है वहाँ, टूटी तन्हाइयों का ग़म
बैरिया मेरे रब्बा...
जाने कैसे टूटे रिश्तों...
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