Tuesday 31 January 2017

# Awaaz Do Hum Ek Hain / आवाज़ दो हम एक हैं



चित्रपट / एल्बम :
संगीतकार : खैय्याम
गीतकार : जाँ निसार अख्तर
गायक : मो.रफ़ी


एक है अपनी ज़मीं, एक है अपना गगन
एक है अपना जहां, एक है अपना वतन
अपने सभी सुख एक हैं, अपने सभी ग़म एक हैं
आवाज़ दो, आवाज़ दो हम एक हैं, हम एक हैं

ये वक़्त खोने का नहीं, ये वक़्त सोने का नहीं
जागो वतन ख़तरे में है, सारा चमन खतरे में है
फूलों के चेहरे ज़र्द हैं, ज़ुल्फ़ें फ़िज़ा की गर्द हैं
उमड़ा हुआ तूफ़ान है, नरगे में हिन्दुस्तान है
दुश्मन से नफ़रत फ़र्ज़ है, घर की हिफ़ाज़त फ़र्ज़ है
बेदार हो, बेदार हो, आमादा-ए-पैकार हो
आवाज़ दो हम एक हैं...

ये है हिमाला की ज़मीं, ताज-ओ-अजंता की ज़मीं
संगम हमारी आन है, चित्तौड़ अपनी शान है
गुल्मर्ग का महका चमन, जमुना का तट, गोकुल का बन
गंगा के धारे अपने हैं, ये सब हमारे अपने हैं
कह दो कोई दुश्मन नज़र, उठे न भूले से इधर
कह दो के हम बेदार हैं, कह दो के हम तैयार हैं
आवाज़ दो हम एक हैं...

उठो जवानां-ए-वतन, बाँधे हुए सर से कफ़न
उठो दकन की ओर से, गंग-ओ-जमन की ओर से
पंजाब के दिल से उठो, सतलुज के साहिल से उठो
महाराष्ट्र की खाक से, दिल्ली की अर्ज़-ए-पाक से
बंगाल से गुजरात से, कश्मीर के बागात से
नेफ़ा से, राजस्थान से, कुल खाके हिन्दोस्तान से
आवाज़ दो हम एक हैं...

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