Tuesday 31 January 2017

# Parda Hai Parda /पर्दा है पर्दा


चित्रपट / एल्बम :अमर अकबर एन्थोनी (1977)
संगीतकार :लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार : आनंद बख्शी
गायक एवं गायिका  :मो.रफ़ी

शबाब पे मैं ज़रा सी शराब फेकूंगा 
किसी हसीन की तरफ ये गुलाब फेकूंगा 

पर्दा है, पर्दा है, पर्दा है, पर्दा है
पर्दा है पर्दा, पर्दा है पर्दा
परदे के पीछे पर्दानशीं है
पर्दानशीं को बेपर्दा ना कर दूँ तो 
अकबर मेरा नाम नहीं हैं

मैं देखता हूँ जिधर, लोग भी उधर देखे
कहाँ ठहरती हैं जाकर मेरी नज़र देखे
मेरे ख़्वाबों की शहज़ादी 
मैं हूँ अकबर इलाहबादी 
मैं शायर हूँ हसीनों का 
मैं आशिक मेहजबनीं को 
तेरा दामन ना छोडूँगा
मैं हर चिलमन को तोडूंगा 
ना डर ज़ालिम ज़माने से 
अदा से या बहाने से 
ज़रा अपनी सूरत दिखा दे 
समां खूबसूरत बना दे 
नहीं तो तेरा नाम लेके 
तुझे कोई इल्जाम देके 
तुझको इस महफ़िल में 
रुसवा न कर दूं तो रुसवा 
पर्दानशीं को बेपर्दा...

खुदा का शुक्र है, चेहरा नज़र तो आया है
हया का रंग निगाहों पे फिर भी छाया है
किसी की जान जाती है
किसी को शर्म आती है
कोई आँसू बहाता है
तो कोई मुस्कुराता है
सताकर इस तरह अक्सर
मज़ा लेते हैं ये दिलबर
हाँ यही दस्तूर है इनका
सितम मशहूर है इनका
ख़फा होके चेहरा छुपा ले
मगर याद रख हुस्नवाले
जो है आग तेरी जवानी
मेरा प्यार है सर्द पानी
मैं तेर गुस्से को ठंडा न कर दूं हाँ
पर्दानशीं को बेपर्दा...

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